रामबली मिसिर की कुण्डलिया
रामबली मिसिर की कुण्डलिया
ऐसी प्रेरक शक्ति को, करना नित्य प्रणाम।
मंजिल तक ले जाय जो, बिना रुके अविराम।।
बिना रुके अविराम, चला करता है प्रेरक।
अपनी सारी शक्ति, झोंक देता है औचक।।
कहें मिसिर कविराय,प्रेरणा उर में कैसी?
जो दिखलाये लक्ष्य, संगिनी मन की ऐसी।।
Gunjan Kamal
23-Dec-2022 05:28 PM
शानदार
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Sachin dev
23-Dec-2022 05:13 PM
Very nice 👍
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